श्रीमती कुहेली भट्टाचार्य जी
वेहद अफसोस है साहित्य जगत की विलक्षण प्रतिमा श्रीमती कुहेली भट्टाचार्य जी का दि. 25/11/2014 को देहावसान हो गया ।
आज दिनांक 04/12/2014 को श्रीमती आशा शैली जी के निवास पर शोक सभा आयोजित की गयी जिसमें उपस्थित श्रीमती आशा शैली जी हल्द्वानी से श्रीमती मन्जू पाण्डे उदिता,डा.श्री वेद प्रकाश प्रजापति अंकुर, काशीपुर से श्री मनोज आर्य जी किच्छा से श्री नवी अहमद मंसूरी जी शक्ति फार्म से श्री प्रताप दत्ता जी, श्री समीर डे, श्री सुकुमार सरकार जी, सुश्री पुष्पा जोशी प्राकाम्य, कार रोड बिन्दुखत्ता से श्री नवीन तिवारी जी लालकुआँ से श्री राधेश्याम जी मै सत्य पाल सिंह सजग सेन्चुरी पल्प एण्ड पेपर से सभी ने दिवंगत आत्मा के प्रति शोक सम्वेदना व्यक्त की । श्री उदय किरोला जी, श्री रमेश चन्द्र किरमोलिया श्री राम सनेही लाल शर्मा यायावर जी ने शैली जी को फोन करके शोक सम्वेदना व्यक्त की ।
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लगता है अनमोल रत्न खो गया हमारा यहीं कहीं
आज हमारे बीच कुहेली भट्टाचार्य नहीं रहीं
विधि का लिखा विधान आजतक कोई वदल ना पाया है
परमेश्वर की लीला का ना पार किसी ने पाया है
साहित्य जगत को यह भारी नुकसान उठाना ही होगा
अव इस गम को अपने सीने वीच छुपाना ही होगा
ब्रह्मलीन हो गयीं आपकी यादें बहुत सतायेंगी
कुहेली भट्टाचार्य जी अब नहीं लौटकर आयेंगी
हिन्दी बांग्ला असम कहानी लेखों की उत्पादक थीं
आप हमारे शैल सूत्र की वर्तमान सम्पादक थीं
कोयल जैसी कूक कुहेली कहां तुम्हें अव पायें हम
किस मन्दिर में किस मस्जिद में किस गिरजे में जायें हम
जब तक है यह सृष्टि और जब तक है भारत प्यारा
जग में जगमग ज्योतित चमके कुहेली नाम तुम्हारा
कुहेली भट्टाचार्य को सद्भाव समर्पण करता हूँ
नम आँखो से नमन उन्हें श्रद्धांजलि अर्पण करता हूँ ।
आज दिनांक 04/12/2014 को श्रीमती आशा शैली जी के निवास पर शोक सभा आयोजित की गयी जिसमें उपस्थित श्रीमती आशा शैली जी हल्द्वानी से श्रीमती मन्जू पाण्डे उदिता,डा.श्री वेद प्रकाश प्रजापति अंकुर, काशीपुर से श्री मनोज आर्य जी किच्छा से श्री नवी अहमद मंसूरी जी शक्ति फार्म से श्री प्रताप दत्ता जी, श्री समीर डे, श्री सुकुमार सरकार जी, सुश्री पुष्पा जोशी प्राकाम्य, कार रोड बिन्दुखत्ता से श्री नवीन तिवारी जी लालकुआँ से श्री राधेश्याम जी मै सत्य पाल सिंह सजग सेन्चुरी पल्प एण्ड पेपर से सभी ने दिवंगत आत्मा के प्रति शोक सम्वेदना व्यक्त की । श्री उदय किरोला जी, श्री रमेश चन्द्र किरमोलिया श्री राम सनेही लाल शर्मा यायावर जी ने शैली जी को फोन करके शोक सम्वेदना व्यक्त की ।
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लगता है अनमोल रत्न खो गया हमारा यहीं कहीं
आज हमारे बीच कुहेली भट्टाचार्य नहीं रहीं
विधि का लिखा विधान आजतक कोई वदल ना पाया है
परमेश्वर की लीला का ना पार किसी ने पाया है
साहित्य जगत को यह भारी नुकसान उठाना ही होगा
अव इस गम को अपने सीने वीच छुपाना ही होगा
ब्रह्मलीन हो गयीं आपकी यादें बहुत सतायेंगी
कुहेली भट्टाचार्य जी अब नहीं लौटकर आयेंगी
हिन्दी बांग्ला असम कहानी लेखों की उत्पादक थीं
आप हमारे शैल सूत्र की वर्तमान सम्पादक थीं
कोयल जैसी कूक कुहेली कहां तुम्हें अव पायें हम
किस मन्दिर में किस मस्जिद में किस गिरजे में जायें हम
जब तक है यह सृष्टि और जब तक है भारत प्यारा
जग में जगमग ज्योतित चमके कुहेली नाम तुम्हारा
कुहेली भट्टाचार्य को सद्भाव समर्पण करता हूँ
नम आँखो से नमन उन्हें श्रद्धांजलि अर्पण करता हूँ ।
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